कई राज्यों के क्षेत्रफल से अधिक जमीन है वक्फ बोर्ड के पास

खरी खरी संवाददाता

नई दिल्ली। संसद में वक्फ संशोधन बिल पर लंबी बहस और देश की सियासत में इसे लेकर मचे कोहराम के बीच वक्फ की संपत्तियों को लेकर देश व्यापी चर्चा शुरू हो गई है। देश भर में वक्फ बोर्ड के पास लाखों एकड़ जमीन और करोड़ों की संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है। कई राज्यों में वक्फ बोर्ड की करोड़ों के संपत्ति पर समाज के ही लोगों ने कब्जा कर लिया है, इसके चलते इस संपत्ति से बोर्ड को कई लाभ नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार इसी समस्या को हल करने के लिए वक्फ कानून में संशोधन कर रही है।

सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़, वक़्फ़ के पास तकरीबन 9.4 लाख एकड़ ज़मीन है। अगर इसकी तुलना रक्षा मंत्रालय और रेलवे से की जाए, तो वक़्फ़ ज़मीन के मामले में भारत में तीसरे नंबर पर है। रक्षा मंत्रालय के पास 17.95 लाख एकड़ भूमि है, तो रेलवे के पास तकरीबन 12 लाख एकड़ ज़मीन है। यूपीए सरकार ने 2009 में वामसी पोर्टल बनाया था। ये पोर्टल वक़्फ़ की संपत्ति के डेटाबेस के तौर पर काम कर रहा है। सरकार के मुताबिक़ वक़्फ़ के पास 9.4 लाख एकड़ ज़मीन है। इतनी ज़मीन का क्षेत्रफल कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से ज़्यादा है। गोवा का कुल क्षेत्रफल 9.14 लाख एकड़ (3702 वर्ग किमी) है।राजधानी दिल्ली का कुल रकबा 3.66 लाख एकड़ (1484 वर्ग किमी) है। वहीं केंद्र शासित दादरा नगर हवेली 1.21 लाख एकड़ में है, जबकि चंडीगढ़ का रकबा तकरीबन 28,000 एकड़ है।

शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद के मुताबिक़, वक़्फ़ की संपत्ति किसी की व्यक्तिगत मिल्कियत नहीं है। वो सवाल करते हैं कि ये बात कही अन्य जगह लागू क्यों नहीं होती है।  वे कहते हैं, “कई मंदिरों में सोने के भंडार हैं। अगर यह सोना रिज़र्व बैंक में चला जाए तो डॉलर की क़ीमत रुपए के बराबर हो जाएगी। क्या सरकार इस तरह का काम कर सकती है?” वामसी पोर्टल के मुताबिक़ वक़्फ़ की 8,72,324 अचल संपत्तियों की पहचान की गई थी और 16,713 चल संपत्ति थी। इनमें 97 फ़ीसदी संपत्तियाँ सिर्फ़ 15 राज्यों में है। वामसी पोर्टल के मुताबिक़ 58,890 पर अतिक्रमण है, जबकि 4,36,179 के बारे में कोई जानकारी साइट पर उपलब्ध नहीं है। वहीं 13,000 संपत्तियों पर मुक़दमा चल रहा है। इस पोर्टल के मुताबिक़ वक़्फ़ वाली कुल संपत्तियों में सिर्फ़ 39 फ़ीसदी संपत्तियाँ बिना विवाद वाली हैं। दिल्ली में तकरीबन 123 वक़्फ़ जायदाद को केंद्र सरकार ने अपने अधीन ले लिया था, जो यूपीए सरकार ने वक़्फ़ को वापस किया था। इसको लेकर विवाद जारी है।अल्पसंख्यक मंत्रालय के 9 फरवरी 2022 के  आँकड़ों के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश में करीब 2,15,000 वक़्फ़ संपत्तियाँ थीं, वहीं पश्चिम बंगाल में तकरीबन 80,480, आंध्र प्रदेश में 10,708, गुजरात में 30,881 संपत्तियाँ वक़्फ़ की हैं। बिहार में इसकी तकरीबन 8,600 संपत्तियाँ हैं। हालाँकि 2025 में ये आँकड़े बढ़ गए हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में अब वक़्फ़ की 2,32,000 संपत्तियाँ हैं। मौजूदा आँकड़ों के मुताबिक़, वक़्फ़ की सबसे ज़्यादा संपत्ति क़ब्रिस्तान के नाम दर्ज है, जो तकरीबन 1.5 लाख हैं. वहीं 1.19 लाख मस्जिद के नाम हैं। इमामबाड़ा या आशूरखाना के नाम 17 हज़ार और मदरसों के नाम पर 14 हज़ार संपत्तियाँ हैं। मज़ार और दरगाह तकरीबन 34 हज़ार हैं। व्यवसाय के महत्व की तकरीबन 1 लाख 13 हज़ार संपत्ति और 92,000 मकान हैं, जबकि क़रीब 1 लाख 40,000 संपत्तियाँ कृषि योग्य भूमि हैं। वक़्फ़ की ज़मीन के मामले पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, “1913 से 2013 तक वक़्फ़ बोर्ड की कुल भूमि 18 लाख एकड़ थी, जिनमें 2013 से 2025 के बीच 21 लाख एकड़ भूमि और बढ़ गई।” इस 39 लाख एकड़ भूमि में 21 लाख एकड़ भूमि 2013 के बाद की है। लीज़ पर दी गई संपत्तियाँ 20 हज़ार थीं, लेकिन रिकॉर्ड के हिसाब से 2025 में ये संपत्तियाँ शून्य हो गईं। ये संपत्तियाँ बेच दी गईं।”

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