आदिवासियों के मुद्दे पर कांग्रेस का विधानसभा में प्रदर्शन

खरी खरी संवाददाता
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में लगातार आक्रामक रुख अपना रही कांग्रेस ने सत्र के तीसरे दिन आदिवासी अधिकारों को लेकर प्रदर्शन किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया।
विधानसभा के मानसून सत्र में कांग्रेस का आक्रामक रुख लगातार बना हुआ है। पहले दिन जहां ओबीसी आरक्षण को लेकर गिरगिट प्रदर्शन किया, वहीं दूसरे दिन भैस के आगे बीन बजाने का प्रदर्शन किया। तीसरे दिन विधायकों ने आदिवासियों के मुद्दे पर सरकार को घेरा। विधायकों ने पत्तों से बनी मालाएं पहनकर और बैनरों के साथ नारेबाजी कर सरकार पर आदिवासियों की जमीन बेदखली, वन अधिकार पट्टों को निरस्त करने, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा) को लागू न करने, और जल-जंगल-जमीन पर आदिवासियों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया।
मानसून सत्र के तीसरे दिन, बुधवार सुबह 10 बजे, कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में एक अनोखा प्रदर्शन शुरू किया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, जो स्वयं आदिवासी समुदाय से हैं, के नेतृत्व में विधायकों ने पत्तों से बनी मालाएं पहनीं और बैनरों के साथ नारे लगाए, जैसे “जल-जंगल-जमीन बचाओ, आदिवासी अधिकार सुनिश्चित करो” और “भाजपा सरकार मुर्दाबाद, आदिवासियों पर अत्याचार बंद करो।” यह प्रतीकात्मक प्रदर्शन आदिवासियों के प्रकृति से गहरे जुड़ाव और उनके अधिकारों की रक्षा की मांग को दर्शाने के लिए था।उमंग सिंघार ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा, “भाजपा सरकार आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन के अधिकार छीन रही है। वन अधिकार अधिनियम (FRA) के तहत दिए गए पट्टों को निरस्त किया जा रहा है, और पेसा कानून को लागू करने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। यह प्रदर्शन सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ है।” उमंग सिंघार ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन को कॉरपोरेट्स और बाहरी लोगों को सौंपा जा रहा है। खासकर मंडला, डिंडोरी, और बालाघाट जैसे आदिवासी बहुल जिलों में जमीन बेदखली की शिकायतें बढ़ी हैं।